Wednesday, February 15, 2012

कूँची कवि दर्शक छके :ग्रांड कैनियन देख


कूँची कवि दर्शक छके :ग्रांड कैनियन देख
[एरिज़ोना अमेरिका का प्राक्रतिक सातबां आश्चर्य ]

नदियाँ तो देखीं निरीं ,पर न ऐसी एक
चप्पे चप्पे पर  लिखे ,जिसके लेख अनेक

कोलोरोडो नदी का ,रहस्यमई इतिहास
नई नई खोजें लिए ,नया नया इतिहास

आँख मिचौनीं खेलती ,कुशल नदी की धार
जो जितना गहरा धँसा,लाया उतना सार

ऊंचे मौन पठार पर ,पड़े क्षरण के घाव
ग्रांड कैनियन जनम दे ,धंसें नदी के पाँव

क्षरण सदा चलता रहा ,बस चीटी की चाल
कागज़ सीं पतलीं परत ,कहतीं सच्चा हाल

धरती के निर्माण की ,कहती कथा विशेष
पढ़ने बालों ने  पढ़े ,परत  दर परत लेख

दुनिया  में अद्भुत  अजब ,ग्रांड कैनियन द्रश्य
अरबों बरसों का छिपा , जिसमें सच्चा सत्य

चट्टानों की विविधता .विविध शिल्प के अंग
तरह तरह की धातुएं ,तरह  तरह के रंग

जन जीवन प्राणी जगत ,तट पर हुआ निहाल
अंकित घाटी  में मिला  ,सबका सच्चा हाल

दो दो बाँधों का दिया ,अमिय सरस उपहार
जन जीवन ने खुशी का ,पहना अनुपम हार

जिसने जो चाहा उसे ,मिला बही संवाद
कूँची कवि दर्शक थके ,कर कर के अनुवाद

[ग्रांड कैनियन नेशनल पार्क एरिजोना :अमरीका :१३.०2.२०1२]