Wednesday, March 31, 2010

प्रदूषण बनाम वैश्विक ताप

करते वातावरण विद ,खरा खरा एलान
प्रलय बाढ़ ने कस लिए,अपने तीर कमान
कोपेनहेगन में हुआ ,खूब विचार विमर्श
बढ़ते वैश्विक ताप पर ,निकले सच निष्कर्ष
आतंकी का रूप धर ,आया वैश्विक ताप
छोटे मोटे द्वीप तट ,झेल रहे अभिशाप
छानी छप्पर टपरिया ,शिमला नैनीताल
सभी जगह भूचाल मौसममें अब आ गया
भूल गया पारा अरे ,परम्परागत चाल
बैरोमीटर की कहीं ,अब ना गलती दाल
हवा हवा की निकलती ,हुई हवा हैरान
लूह लपट के रूप में ,बनी क्रूर शैतान
सांसत में अब फंस गयी ,तापमान की सांस
ग्लोवलवार्मिंग की सजा ,पडी गले में फांस
दलने छाती पर लगीं ,रवि किरणें जब दाल
तापमान के आन की काम न आये ढाल
बर्फ ध्रुवों की पिघलती ,धरे भैरवी रूप
पशु पंछी इन्शान के ,रही नहीं अनुरूप
ग्लेशियर अब हो रहे ,शनैः शनैः बीमार
बाद प्रलय की सूचना ,जन जीवन संहार
बाहन ढेरों चिमानियाँ ,उगल रहीं अभिशाप
पर्दूषण भूगोल का ,हुआ असीमित माप
वन उपवन के गाँव में ,कांक्रीट की बाढ़
मरुथल पाँव पसारता ,मिटे झाड झंकाड़
पानी पानी हो गए ,अब जलधर के ठाट
माथा अपना ठोकते ,कुआं बाबड़ी घाट
भ्रष्टाचारी प्रदूषण ,रचे नया इतिहास
सब दुनिया को हो गया ,खरा खरा अहसास
ग्रीनहाउस के छेद का ,बदल रहा भूगोल
थमीं नहीं यदि चाल तो ,आएगा भूडोल
घोर प्रदूषण यातना ,हम सबका है पाप
आने वाली पीदियाँ ,भोगेगी अभिशाप
जब दुनिया हो जाएगी,बाढ़ प्रलय जलमंग्न
[भोपाल:०१.०४.१०]

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