Saturday, September 25, 2010

ओज़ोन विश्व दिवस

जनसँख्या की बाढ़ से,उपजें जक्तिल सवाल
तापमान का मचलना ,सबसे बड़ा बबाल
ग्रीन हाउस के छेद का ,पसर रहा भूगोल
पंख न उसके यदि कटे ,आयेगा भूडोल
घोर प्रदूषण के थमेअगर ना बढ़ते पाँव
खुशहाली संसार की हार जायेगी दाँव
बर्फ ध्रुवों की पिघलना, अपशकुनी अभियान
सागर तट की आन का ,धराध्वस्त हो मान
ग्लेशियर सब पिघलकर ,कर देंगे उद्विग्न
सागर तट की बस्तियां ,सब होगीं जलमग्न
त्राहि ताहि मच जायेगी ,धुंआ धुंआ हों स्वप्न
मिटटी में मिल जायेंगे ,सब विकास के यत्न
तीखे तेवर ताप के ,खींचे अपने तीर
सर सरिता निर्झर कहें ,पीर हुई वेपीर
बेमौसम बरसात हो ,मरुथल का विस्तार
ऋतुओं का क्रम होबिफल ,तापमान की मार
ताप प्रदूषण कोख में,प्रलय स्रष्टि संहार
वन उपवन बन जायेगें ,सभी राख के ढेर
ताप प्रदूषण ना करे ,तनिक भी इसमें देर
लगातार ओजोन का, होता क्षरण घनत्व
जीवन कैसे खिलेगा ,बचे न जीवन तत्व
जीवन का आधार है ,जब ओजोन वितान
विश्व दिवस ओजोन पर क्यों न दे सम्मान
[विश्व ओजोन दिवस :१६.०९.१०]


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