तापमान का उछालना , ग्रीन्होल संबाद
ग्लोबल वार्मिंग कर रहे ,प्रदूषण अनुवाद
कचरा उत्पादन बना ,बड़ा भयंकर रोग
आज जरूरत है बड़ी ,समझें इसको लोग
प्रदूषण भूगोल का ,सिमटे जब आकार
ग्लोबलवार्मिंग पर कटें,सपना हो साकार
जल थल वातावारण में ,घुला जहर ही जहर
बदले तेवर ताप के ,उगल रहा है कहर
अगले डेढ़ दशक में ,ग्लेशियर अवशेष
बड़े शहर कुछ द्वीप भी ,हों इतिहास विशेष
जनसंख्या की बाढ़ से ,घटते जंगल जीव
मगर खोखली हो रही ,सुख सपनो की नीव
लेता है अगडाइयां, जल थल का इतिहासनए नए भूगोल का, नकशा होगा ख़ासप्रदूषण भूगोल का ,सिमटे यदि आकारग्लोबल वार्मिंग पर कटें ,सपनें हों साकारअतिरिक्त ऊर्जा स्रोत के ,यदि हम जोड़ें योगप्रदूषण की कोख के ,दूर भगेगें रोंग
अक्षय ऊर्जा श्रोत के ,जल सूरज हैं वायु
उनके खर्चे नपे तुले ,घटे प्रदूषण आयु
हो विकास जब हर तरफ ,बिना प्रदूषण मार
सुख वैभव का राज़ हो ,हराभरा संसार
दुनिया में अब तंत्र के ,खड़े हो गए काननयी नयी नजत योजना ,खीचें सबका ध्यानजन गण मन में जब जगे ,जागरूकता आगपर्यावरण विनास का ,धुले सदा को दागपर्यावरण दिवस का ,हर दिन हो त्योहार
मौसम का बदले तभी ,जग चाहा व्यवहार
[भरूच:०५.०६.२०१०]।
ग्लोबल वार्मिंग कर रहे ,प्रदूषण अनुवाद
कचरा उत्पादन बना ,बड़ा भयंकर रोग
आज जरूरत है बड़ी ,समझें इसको लोग
प्रदूषण भूगोल का ,सिमटे जब आकार
ग्लोबलवार्मिंग पर कटें,सपना हो साकार
जल थल वातावारण में ,घुला जहर ही जहर
बदले तेवर ताप के ,उगल रहा है कहर
अगले डेढ़ दशक में ,ग्लेशियर अवशेष
बड़े शहर कुछ द्वीप भी ,हों इतिहास विशेष
जनसंख्या की बाढ़ से ,घटते जंगल जीव
मगर खोखली हो रही ,सुख सपनो की नीव
लेता है अगडाइयां, जल थल का इतिहासनए नए भूगोल का, नकशा होगा ख़ासप्रदूषण भूगोल का ,सिमटे यदि आकारग्लोबल वार्मिंग पर कटें ,सपनें हों साकारअतिरिक्त ऊर्जा स्रोत के ,यदि हम जोड़ें योगप्रदूषण की कोख के ,दूर भगेगें रोंग
अक्षय ऊर्जा श्रोत के ,जल सूरज हैं वायु
उनके खर्चे नपे तुले ,घटे प्रदूषण आयु
हो विकास जब हर तरफ ,बिना प्रदूषण मार
सुख वैभव का राज़ हो ,हराभरा संसार
दुनिया में अब तंत्र के ,खड़े हो गए काननयी नयी नजत योजना ,खीचें सबका ध्यानजन गण मन में जब जगे ,जागरूकता आगपर्यावरण विनास का ,धुले सदा को दागपर्यावरण दिवस का ,हर दिन हो त्योहार
मौसम का बदले तभी ,जग चाहा व्यवहार
[भरूच:०५.०६.२०१०]।
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